जूट पैकेजिंग के लिए आरक्षण, जेपीएम अधिनियम 1987 तहत मानदंडों को मिली मजदूरी

Sheet B Sharma
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जूट पैकेजिंग के लिए आरक्षण, जेपीएम अधिनियम 1987 तहत मानदंडों को मिली मजदूरी
जूट पैकेजिंग के लिए आरक्षण, जेपीएम अधिनियम 1987 तहत मानदंडों को मिली मजदूरी

जूट पैकेजिंग के लिए आरक्षण, जेपीएम अधिनियम 1987 तहत मानदंडों को मिली मजदूरी :आर्थिक मामलों की कैबिनेट बैठक में जूट में पैकेजिंग के लिए मिली आरक्षण 100% खाद्यान्न एवं 20% चीनी को जूट के बोरे में पैक करना अनिवार्य है। 400000 श्रमिकों को राहत और 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका में सहायता |

जूट पैकेजिंग के लिए आरक्षण, जेपीएम अधिनियम 1987 तहत मानदंडों को मिली मजदूरी

8 दिसंबर 2023 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति जूट वर्ष 2023 से 24 के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के लिए आरक्षण मानदंडों को मजदूरी दे दी है। पैकेजिंग मानदंड के आधार पर खाने वाले पदार्थों को 100% और 20% चीनी को जूट के बैग में पैक करने का प्रावधान है।

प्रस्ताव के कारण भारत में कच्चे जूता का उत्पादन ज्यादा होगा और यह ज्यादा से ज्यादा घरेलू उत्पादन के हित में होगा जिससे आत्मनिर्भर भारत अपने लक्ष्य के प्रति एक कदम और अग्रसर होगा जेपीएम अधिनियम लागू करके सरकार ने झूठ मिलो और उसमें काम करने वाले चार लाख श्रमिकों को राहत प्रदान करेगी

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अधिनियम के तहत लगभग 40 लाख किसान परिवारों को आजीविका में मदद मिलेगी l झूठ पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा क्योंकि जूट प्राकृतिक जीवन निर्विकरणीय नवीकरणीय और रीयूजबल फाइबर है जो स्थिरता के सारे पैरामीटर को फुलफिल करता है

जूट ज्यादातर पूर्वी क्षेत्र में उगाया जाता है यह वहां का विशेष कर प्रमुख उद्योगों में से एक है जूट उद्योग समानता भारत की अर्थव्यवस्था में मुख्य स्थान रखता है। पूर्वी क्षेत्र विशेष कर पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, त्रिपुरा, मेघालय, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे स्थान पर विशेष रूप से यह उगाया जाता है।


जेपीएम अधिनियम लागू होने के कारण झूठ के क्षेत्र में कार्य करने वाले चार लाख श्रमिकों और 40 लाख किसानों को सीधे रोजगार मिला। यार इस अधिनियम के तहत किसानों श्रमिकों और जूट के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा करता है जूट उत्पादन का कुल 75% झूठ झूठ के बोरे बनाने में काम आते हैं। 85% जूट के बोर भारतीय खाद्य निगम लेती है और बचे हुए जूट के बोरे सीधे निर्यात किया जाता है।

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भारत सरकार हर साल 12000 करोड रुपए देकर किसानों से जूट के बोरे खरीदती है अनाजों के पैकेजिंग के लिए किसने और श्रमिकों को उनके जट उपज की अच्छी धनराशि उनको मिल सके। जूट के बोरे का उत्पादन लगभग 30 लाख मैट्रिक टन है। सरकार जूट उत्पादन करने वाले व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए जूट उत्पादन का पूरा रखरखाव सुनिश्चित करती है

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