विश्व मानवाधिकार दिवस 2023 के दिन जानिए अपने मूलभूत अधिकारों को

Sheet B Sharma
Sheet B Sharma
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विश्व मानवाधिकार दिवस 2023

विश्व मानवाधिकार दिवस 2023: 10 दिसंबर 2023 को हर वर्ष की भांति पूरे विश्व में विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है, मानवाधिकार दिवस के दिन दुनिया भर के शोषित, अक्षम, निम्न और पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों और उत्थान की बात की जाती है. हमारे संविधान में मानव के अधिकार के संबंध में देशवासियों के लिए मूलभूत अधिकार प्रदान किए गए हैं आईए जानते हैं उन सभी मूलभूत यानी फंडामेंटल राइट्स के बारे में.

हमारे संविधान तीसरे भाग में मूलभूत अधिकारों की बात की गई है, जो कि अनुच्छेद 12 से 35 तक कुल मिलाकर 6 अधिकार को सम्मिलित किया गया है. हमारे मूलभूत अधिकारों का विचार अमेरिका के बिल ऑफ राइट से लिया गया है.

विश्व मानवाधिकार दिवस 2023

क्यों जरुरी है मूलभूत अधिकार

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को शामिल करने का उद्देश्य अपने नागरिकों की अंतर्निहित गरिमा, समानता और स्वतंत्रता की रक्षा करना है. संविधान के भाग III में निहित, ये अधिकार राज्य की मनमानी कार्रवाइयों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्तियों को कुछ निश्चित सुरक्षा प्रदान की जाती है.

संविधान निर्माताओं ने विभिन्न स्रोतों से प्रेरणा लेते हुए एक न्यायपूर्ण और समतावादी समाज की स्थापना करने का प्रयास किया, जहां प्रत्येक नागरिक अपनी बैकग्राउंड की परवाह किए बिना बुनियादी स्वतंत्रता का आनंद ले सके. मौलिक अधिकारों में कई सिद्धांत शामिल हैं, जिनमें समानता का अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भेदभाव से सुरक्षा और जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है. इन अधिकारों को समाहित करके, संविधान लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और कानून के शासन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और एक ऐसा ढांचा तैयार करता है जो भारत की विविध आबादी को सशक्त बनाने और उनकी रक्षा करने के लिए बेहद जरुरी है।

हमारे संविधान के Fundamental Rights यानी मूलभूत अधिकार अन्य किसी भी देश के मूलभूत अधिकारों से ज्यादा विस्तृत ढंग से बताए और लिखे गए हैं. मूलभूत अधिकार कॉन्स्टिट्यूशन द्वारा सभी देशवासियों के लिए मानवाधिकार की गारंटी प्रदान करते हैं. वह सभी नागरिकों के गरिमा और समानता को बनाए रखने के साथ-साथ एकता को भी बढ़ावा देते हैं.

भारतीय संविधान के 6 मूलभूत अधिकार

मूल रूप से संविधान में कुल 7 मूलभूत अधिकारों की बात की गई थी, जिसमें से संपत्ति का अधिकार संविधान के 44th संसोधन, 1978 के द्वारा हटा दिया गया और इसे 12वें भाग में अनुच्छेद 300-A के अंतर्गत एक कानूनी अधिकार का दर्जा दे दिया गया, इसलिए अब संपत्ति के अधिकार को मूलभूत अधिकारों में नहीं गिना जाता है.

अब संविधान में केवल 6 मूलभूत अधिकार हैं जो कि इस प्रकार है:-

1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)

2. समता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)

5. सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

मानवाधिकार का महत्त्व | World Human Rights Day

मानवाधिकार इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे जाति, लिंग, धर्म या राष्ट्रीयता जैसे कारकों से ऊपर उठकर यह सुनिश्चित करते है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ गरिमा, सम्मान और निष्पक्षता के साथ व्यवहार किया चाहिए. ये अधिकार सार्वभौमिक और अविभाज्य हैं तथा एक न्यायसंगत समाज की नींव प्रदान करते हैं.

मानवाधिकारों की वजह से व्यक्ति भेदभाव, हिंसा और उत्पीड़न से मुक्त रह सकता हैं। मानवाधिकार एक नैतिक स्टैण्डर्ड के रूप में भी काम करते हैं और सरकारों, संस्थानों और व्यक्तियों को नैतिकता और जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं।

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यह अधिकार दुनिया भर में अलग-अलग लोगों को अपने समुदायों में सक्रिय रूप से भाग लेने, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाते हैं। मानवाधिकारों की सुरक्षा वैश्विक स्थिरता में योगदान देती है, क्योंकि यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती है और असमानता और अन्याय से उत्पन्न होने वाले संघर्षों को रोकती है। अंततः, मानवाधिकारों की मान्यता और संरक्षण एक ऐसी दुनिया के निर्माण के लिए जरुरी हैं जहां हर किसी को सम्मान और पूर्णता का जीवन जीने का अवसर मिले।

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