आधुनिक कृषि और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में कोल्ड स्टोरेज एक महत्वपूर्ण घटक है, जो खराब होने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. इन्हें प्रशीतित भंडारण के रूप में भी जाना जाता है, कोल्ड स्टोरेज को विशेष रूप से कम तापमान बनाए रखने, फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पादों और मांस जैसी विभिन्न खाद्य पदार्थो के क्षय और खराब होने की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किया जाता है.
क्या हैं कोल्ड स्टोरेज और कैसे काम करते है?
Cold storage फैसेलिटीज नियंत्रित वातावरण बनाने के लिए उन्नत रेफ्रिजरेशन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करती हैं जो सूक्ष्म जीवों और एंजाइमेटिक रिएक्शंस के विकास को धीमा कर देती है जिससे उत्पादों के सेल्फ लाइफ को प्रभावी ढंग से बढ़ाया जा सकता है जाता है.

कोल्ड स्टोरेज तापमान और आद्रता(Humidity) नियंत्रण सिस्टम से लैस होती है, जो विभिन्न प्रकार के वस्तुओं के उपयुक्त स्थिति को सुनिश्चित करते हैं. यह संरक्षण विधि न केवल अपशिष्ट को कम करती है बल्कि कृषि उत्पादों को उनकी मौसमी उपलब्धता से बढ़कर उन्हें किसी भी मौसम में उपलब्ध कराती है, जिससे अधिक स्थिर और विश्वसनीय खाद्य आपूर्ति में योगदान होता है. कृषि उपज के अलावा कोल्ड स्टोरेज फार्मास्यूटिकल्स, रसायन और अन्य तापमान संवेदनशील उत्पादों के प्रबंधन का अभिन्न अंग है.
यह सुविधाए केवल स्टोरेज से बढ़कर हैं क्योंकि ये गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप माल के परिवहन, प्रसंस्करण और वितरण की सुविधा प्रदान करते हैं.
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भारत में कोल्ड स्टोरेज | Cold storage in India
भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए अपने फसलों तथा कृषि उत्पादों के बेहतर स्टोरेज और खराब होने से बचाने के लिए कोल्ड स्टोरेज को विभिन्न प्रकार के योजनाओ में कवर किया गया है.
2015 में नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेस (NABCONS) द्वारा ऑल इंडिया कोल्ड चैन इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेसिटी (AICIC-2015) पर किए गए अध्ययन के अनुसार उस समय यानी 2015 में कोल्ड स्टोरेज की कुल मौजूदा क्षमता 318.23 लाख मीट्रिक टन थी परन्तु कुल 351 लाख मीट्रिक टन कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता थी.
इस समय देश में वर्तमान में 394.15 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ कुल 8653 कोल्ड स्टोरेज है.
कोल्ड स्टोरेज के लिए सरकारी योजना और सब्सिडी
सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूरे देश में जल्दी खराब होने वाली बागवानी उपज के लिए cold storage की स्थापना करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है. हालांकि कृषि या बागवानी उपज को नुकसान से बचाने के लिए कोल्ड स्टोरेज के अलावा प्री-कूलिंग यूनिट, कोल्ड रूम, पैक हाउस, इंटीग्रेटेड पैक हाउस, प्रिजर्वेशन यूनिट, रीफर ट्रांसपोर्ट, रिपनिंग चैंबर आदि की स्थापना के लिए बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (MIDH) के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
इसके लिए क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता संबंधित राज्य बागवानी मिशन (एसएचएम) के माध्यम से सामान्य क्षेत्रों में पुरे प्रोजेक्ट की लागत के 35% की दर पर और पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों में प्रोजेक्ट लागत के 50% की दर पर उपलब्ध है.