Garba Dance in UNESCO List: गुजरात के सबसे प्रसिद्ध नृत्य “गरबा” को यूनेस्को के वर्ल्ड इन्टेंन्जिबल कल्चरल हेरिटेज साइट लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. यह निर्णय 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए बनी अंतर-सरकारी समिति के 18वीं सेशन द्वारा लिया गया है. यूनेस्को यानि संयुक्त राष्ट्र शिक्षा वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने अपनी वेबसाइट पर गरबा को एक अनुष्ठानिक और भक्ति नृत्य के रूप में बताया है जो कि हिंदू त्योहार नवरात्रि के अवसर पर किया जाता है जिसमें शक्ति या ऊर्जा की पूजा होती है.
गरबा नृत्य शैली के बारे में यूनेस्को ने अपने वेबसाइट में लिखा है, “गरबा नृत्य करने वाले लोग व्यापक और समावेशी हैं, जिनमें नर्तक से लेकर संगीतकार, सामाजिक समूह, शिल्पकार और त्योहारों में शामिल धार्मिक हस्तियां शामिल होती हैं. गरबा सामाजिक-आर्थिक, लैंगिक और धार्मिक संरचनाओं से परे जाकर समानता को बढ़ावा देता है। इसमें विविध और हाशिए पर रहने वाले लोग शामिल होते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं.”
गरबा नृत्य: प्रधानमन्त्री ने दी बधाई
गरबा नृत्य के Intangible Cultural Heritage (ICH) of Humanity में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स(X) पर ट्वीट करते हुए लिखा हैं कि “गरबा जीवन, एकता और हमारी गहरी परंपराओं का उत्सव है। इसे अमूर्त विरासत सूची में शामिल किया जाना, दुनिया को भारतीय संस्कृति की सुंदरता को दर्शाता है. यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है. इस वैश्विक स्वीकार्यता के लिए बधाई.”
क्या है गरबा नृत्य, देखे विडियो
गरबा एक पारंपरिक नृत्य शैली है जिसकी उत्पत्ति भारत के गुजरात में हुई थी. यह नृत्य नवरात्रि के त्योहार से जुड़ा हुआ है, जिसमें माता शक्ति के रूपों की पूजा की जाती है और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है. नवरात्रि 9 दिनों का त्यौहार हैं, इस दौरान लोग विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. गरबा नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से लोकप्रिय है, इसमें हिंदू देवी शक्ति या माता दुर्गा की मूर्ति के चारों ओर गोल संरचना में नृत्य करना होता है. इस नृत्य की विशेषता सुंदर और लयबद्ध चाल है जिसमें नृत्य करने वाले प्रतिभागी एक गोल घेरा बनाते हैं और लयबद्ध तरीके से आगे बढ़ते हैं.
गरबा नृत्य का पहनावा
नर्तकों में आमतौर पर महिलाएं रंगीन पारंपरिक पोशाक कैसे चनिया-चोली और ब्लाउज, दुपट्टा आदि पहनती है और खुद को पारंपरिक आभूषण से भी सजाती है. इसमें पुरुष भी भाग लेते हैं और एक कुर्ते के साथ गुजराती केडिया के साथ कफनी पजामा जैसे पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और पगड़ी भी बांधते हैं.
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यह नृत्य ऊर्जावान और पारंपरिक लोक संगीत के साथ होता है, जो आमतौर पर ढोल, ड्रम, तबला और डांडिया स्टिक जैसे यंत्र के साथ किया जाता है डांडिया गरबा का ही एक रूप है जहां नृत्य के साथ लयबद्ध रूप से पैटर्न बनाया जात हैं और डांडिया लकड़ीयों का प्रयोग करते हैं. गरबा नृत्य सिर्फ नवरात्री के त्यौहार में ही नहीं किया जाता है बल्कि शादी के महोत्सव और अन्य खुशी के अवसरों पर भी किया जाता है।
गरबा सिर्फ एक नृत्य नहीं है, यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जो लोगों को अपनी विरासत या सांस्कृतिक परंपराओं को मनाने, खुशी व्यक्त करने और नवरात्रि के त्यौहार के दौरान माता दुर्गा को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है. गरबा की लोकप्रियता गुजरात तक ही सीमित न होकर बाहर तक फैली हुई है, और अब नवरात्रि समारोह के दौरान दुनिया भर में भारतीय मूल के लोगों द्वारा किया जाता है.